लोगों की राय

बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 हिन्दी - हिन्दी का राष्ट्रीय काव्य

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 हिन्दी - हिन्दी का राष्ट्रीय काव्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2785
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 हिन्दी - हिन्दी का राष्ट्रीय काव्य - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 21 
कवि प्रदीप

आज हिमालय की चोटी से फिर हमने ललकारा है,
ऐ मेरे वतन के लोगों ज़रा आँख में भर लो पानी,
हम लाए हैं तूफान से कश्ती निकाल के,
आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ झांकी हिन्दुस्तान की

व्याख्या भाग

1. आज हिमालय की चोटी से फिर हमने ललकारा

हिमालय की चोटी से फिर हमने ललकारा है
आज हिमालय की चोटी से फिर हमने ललकारा है
दूर हटो दूर हटो दूर हटो ऐ दुनिया वालों
हिन्दुस्तान हमारा है।

शब्दार्थ - ललकारा है = चेतावनी दी है।

सन्दर्भ - प्रस्तुत गीतांश राष्ट्रीय काव्यधारा के कवि प्रदीप द्वारा रचित 'आज हिमालय की चोटी से' गीत से लिया गया है। यह गीत सन् 1943 ई0 में बनी बॉलीवुड फिल्म 'किस्मत' में फिल्माया गया है।

प्रसंग - प्रस्तुत गीत में कवि प्रदीप ने जन जागरण का कार्य किया है। यह गीत अंग्रेजों को भारत से दूर करने के लिए एक आह्वान था, जो लोगों में नई चेतना भर गया और अंग्रेजों को कुपित कर गया। व्याख्या - देशभक्त कवि प्रदीप जी बार-बार कहते हैं कि हमने हिमालय के शिखरों से शत्रु को चेतावनी दी है कि हमारे देश से दूर हट जाओ क्योंकि यह हमारा देश है।

काव्यगत सौन्दर्य -

1. यहाँ कवि की देशभक्ति भावना लक्षित होती है।
2. भाषा - सहज, सरल, ओजमयी खड़ी बोली।
3. रस - वीर रस।
4. अलंकार - अनुप्रास।

शुरू हुआ है जंग तुम्हारा जाग उठो हिन्दुस्तानी
तुम न किसी के आगे झुकना जर्मन हो या जापानी
यही कौमी नारा है आज सभी के लिए हमारा
दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिन्दुस्तान हमारा है।

शब्दार्थ - कौमी = देश का। जंग = युद्ध।

सन्दर्भ एवं प्रसंग - पूर्ववत्।

व्याख्या - कवि आह्वान करता हुआ कहता है कि हे हिन्दुस्तानियों! अब जाग जाओ क्योंकि युद्ध शुरू हो चुका है। तुम्हें किसी के सामने अपना शीश नहीं झुकाना है। चाहे वह जर्मन हो या जापानी हो अथवा अप्रत्यक्ष रूप से अंग्रेज हो। आज से हमारा नारा यही है कि 'हिन्दुस्तान हमारा है। 'अतः दुनिया वालो अर्थात् अंग्रेजों यहाँ से दूर हट जाओ, क्योंकि यह देश हमारा है।

काव्यगत सौन्दर्य-

1 यहाँ कवि जर्मन और जापान के माध्यम से अंग्रेजों को देश से हटाना चाहता है। अंग्रेजों को जब यह बात समझ आई, तो गीत को प्रतिबन्धित करने का प्रयास किया था। पर जनता के मुख पर यह गीत चढ़ चुका था।
2. भाषा - सहज, सरल, ओजमयी खड़ी बोली।
3. रस - वीर रस।
4. अलंकार - अनुप्रास, अनियोक्ति।

2. ऐ मेरे वतन के लोगों

ऐ मेरे वतन के लोगों ... तुम खूब लगा लो नारा
ये शुभ दिन है हम सब का लहरा लो तिरंगा प्यारा
पर मत भूलो सीमा पर वीरों ने है प्राण गँवाए
कुछ याद उन्हें भी कर लो जो लौट के घर न आए।
ऐ मेरे वतन के लोगों जरा आँख में भर लो पानी
जो शहीद हुए है उनकी जरा याद करो कुर्बानी।।

शब्दार्थ - वतन = देश। सीमा = सरहद। गँवाए = न्योछावर कर दिए। कुरबानी = बलिदान।

सन्दर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत गीतांश प्रसिद्ध राष्ट्रवादी कवि प्रदीप द्वारा रचित है। “ऐ मेरे वतन के लोगों" गीत से लिया गया है।

यह एक देशभक्ति गीत है, जिसे 26 जनवरी, 1963 को नेशनल स्टेडियम, नई दिल्ली में गीत साम्राज्ञी लता मंगेशकर द्वारा गया था। इस गीत में शहीदों को याद किया गया है, जो देश की रक्षा हेतु अपनी जान गँवा चुके थे। यह गीत आज भी उतना ही प्रांसगिक है, जितना कि तब था, जब यह रचा गया था। देश स्वतन्त्र हो गया, लेकिन किन वीरों के बलिदान से हमने यह आजादी पाई है। हमें कभी नहीं भुलाना चाहिए।

व्याख्या - कवि कहता है कि हे मेरे वतन के लोगों! तुम खूब नारे लगाओ। आज का दिन अत्यन्त शुभ है, तुम स्थान-स्थान पर अपना राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराओ, लेकिन खुश होने के साथ- साथ उन वीरों को मत भूल जाना, जिन्होंने स्वतन्त्रता के लिए सरहद पर अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। उनमें में अनेक वीर ऐसे थे, जो अपने घर लौटकर नहीं आ पाए। मेरे देशवासियों! उन वीरों की याद में अपनी आँखों में पानी भर लो और उनके बलिदानों को याद करो कि किस प्रकार वह देश के लिए मर मिटे थे।

काव्यगत - सौन्दर्य-

1. यहाँ कवि ने उन शहीदों के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की है। जिनके कारण हम अपने घरों में सुरक्षित रहते हैं।
2. कवि का उद्देश्य देशभक्ति भावना को जाग्रत किए रखना है।
3. भाषा - सहज, सरल, ओजमयी खड़ी बोली।
4. रस - वीर रस।
5. अलंकार - उदाहरण, अनुप्रास।

कोई सिख कोई जाट मराठा कोई गुरखा कोई मदरासी
सरहद पर मरने वाला हर वीर था भारतवासी
जो खून गिरा पर्वत पर वो खून था हिन्दुस्तानी
जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुरबानी
थी खून से लथपथ काया फिर भी बन्दूक उठाके
दस-दस को एक ने मारा फिर गिर गये होश गँवा के
जब अन्त समय आया तो कह गए के अब मरते हैं
खुश रहना देश के प्यारे, अब हम तो सफर करते हैं
क्या लोग थे वे दीवाने क्या लोग थे वे अभिमानी
जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुरबानी
तुम भूल न जाओ उनको इस लिये कही ये कहानी
जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुरबानी।।

शब्दार्थ - सरहद = देश की सीमा। कुरबानी = बलिदान। काया = शरीर। होश गँवा के बेहोश होना। सफर = यात्रा। अभिमानी = स्वाभिमान रखने वाले। लथपथ = भीगी हुई।

सन्दर्भ एवं प्रसंग - पूर्ववत्।

व्याख्या - कवि कहता है कि उन वीरों में कोई सिख था, कोई जाट था, कोई मराठा था, कोई गोरखा तो कोई मद्रासी था, लेकिन देश की सीमा पर वे अलग-अलग प्रान्तों के न होकर केवल हिन्दुस्तानी अर्थात् भारतवासी थे। पर्वत पर देश रक्षा हेतु जो रक्त गिरा था, वह उन्हीं हिन्दुस्तानी वीरों का रक्त था, जो उन्होंने निस्संकोच बहा दिया था इसलिए उन सभी वीरों के बलिदानों को हमेशा याद रखना चाहिए।

कवि कहता है कि उन वीरों को शरीर खून से लथपथ था फिर भी उन्होंने बंदूक उठाई और एक-एक सिपाही ने दस-दस शत्रुओं को मारा, जब तक हिम्मत थी, लड़ते रहे। फिर अपने होश गँवा के पड़ गए और जाते-जाते यह सन्देश देकर गए कि सभी देशवासियों तुम सब प्रसन्न रहना हमारा सफर अब यही समाप्त होता है। कवि उनकी देश के प्रति दीवानगी को नमन करते हुए कहता है कि कैसे दीवाने और अभिमानी लोग थे, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण गँवा दिए, लेकिन देश पर आँच नहीं आने दी। मैंने यह गीत रचना इसलिए ही की है कि आप लोग कभी भी उन वीरों के बलिदान को भूल मत जाना।

काव्यगत - सौन्दर्य -

1. यहाँ कवि ने उन शहीदों के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की है। जिनके कारण हम अपने घरों में सुरक्षित रहते हैं।
2. कवि का उद्देश्य देशभक्ति भावना को जाग्रत किए रखना है।
3. भाषा - सहज, सरल, ओजमयी, खड़ी बोली।
4. रस - वीर रस।
5. अलंकार - उदाहरण, अनुप्रास।

3. हम लाएँ हैं तूफान से कश्ती निकाल के

पासे सभी उलट गए दुश्मन की चाल के
अक्षर सभी पलट गए भारत के भाल के
मंजिल पे आया मुल्क हर बला-के टाल के
सदियों के बाद फिर उड़े बादल गुलाल के
हम लाए हैं तूफान से कश्ती निकाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के
तुम ही भविष्य हो मेरे भारत विशाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के।

शब्दार्थ- पासे = दाँवे, योजना। चाल = षड्यन्त्र। भाल = मस्तक। मुल्क = देश। बला = आफत, संकट टाल के = दूर करके। मंजिल = लक्ष्य। कश्ती = नाव।

सन्दर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत गीतांश प्रसिद्ध राष्ट्र चेतना के कवि प्रदीप द्वारा रचित 'हम लाएँ हैं तूफान से कश्ती निकाल के' से लिया गया है। यह गीत सन् 1954 में बनी बॉलीवुड फिल्म 'जागृति' में भी फिल्माया गया था।

वस्तुत: यह एक आह्वान गीत है, जिसमें कवि (पर्दे पर शिक्षक के रूप में) बच्चों को देश और स्वतन्त्रता का महत्त्व समझाता है और उसे संरक्षित करने के लिए प्रेरित करता है। वह बच्चों को समझाता है कि कितनी कठिनाइयों से स्वतन्त्रता को प्राप्त किया था।

व्याख्या - कवि कहता है कि दुश्मनों के प्रत्येक षड़यन्त्रों के सारे दाँव उलटे पड़ गए अर्थात् दुश्मनों ने जो भारत को ध्वस्त करने की योजना बनाई थी, वह सब सफल नहीं हो सकी। भारत के मस्तक पर जो परतन्त्रता के अक्षर लिखे थे, वह सब स्वतन्त्रता में बदल गए। हमारे देश ने हर संकट का सामना कर अपने लक्ष्य को प्राप्त किया है। सदियों की गुलामी के पश्चात् फिर से स्वतन्त्रता का गुलाल बादल बन कर उड़ा है। इसके लिए हमने बहुत से तूफान अर्थात् संकटों को झेला है। तब हम स्वतन्त्रता रूपी नाव को प्राप्त कर सके हैं। इसलिए इस देश और स्वतन्त्रता रूपी नौका को तुम्हें सम्भाल कर रखना होगा; क्योंकि तुम बच्चे ही मेरे भारत जैसे विशाल देश के भविष्य हो, इसकी सदैव रक्षा करना।

काव्यगत सौन्दर्य -

1. यहाँ कवि की देशभक्ति भावना का निरूपण हुआ है।
2. कवि ने बच्चों को आजादी का महत्त्व समझाया है।
3. बच्चे देश का भविष्य है। इसलिए उन्हें आजादी का महत्त्व समझना होगा।
4. भाषा - सहज, सरल, उर्दू परक, खड़ी बोली।
5. रस - वीर रस।
6. अलंकार - उपमा, रूपक, अनुप्राय।
7. शैली - प्रतीकात्मक।

ऐटम बमों के जोर पे ऐंठी है ये दुनिया
बारूद के इक ढेर पे बैठी है ये दुनिया
तुम हर कदम उठाना जरा देख भाल के, इस देश को......
आराम की तुम भूल भुलय्या में ना भूलो
सपनों के हिडोंलों पे गगन होके ना झूलो
 अब वक्त आ गया है मेरे हँसते हुए फूलों
 उठो छलाँग मार के आकाश को छू लो
तुम गाड़ दो गगन पे तिरंगा उछाल के, इस देश को.....

शब्दार्थ - ऐटम बम = परमाणु बम ऐंठी = अकड़ना, अभिमान करना। हिडोंलो =झूलों। मगन होके = लीन होकर।गाड़ दो = जमीन में मजबूती से दबाना।

सन्दर्भ एवं प्रसंग - कवि कहता है कि आज पूरी दुनिया ऐटम बमों के बल पर अकड़ रही है, लेकिन यह नहीं जानती कि पूरी दुनिया बारूद के एक ढेर पर बैठी है अर्थात् जिस बात पर दुनिया घमण्ड कर रही है, वहीं उसका क्षण भर में विनाश कर सकती है। इस प्रकार कवि बच्चों को समझाता हुआ कहता है कि तुम एक-एक कदम सोच-विचार कर उठाना और इस देश की रक्षा करते रहना।

कवि कहता है कि मेरे हँसते हुए फूलों अर्थात् प्यारे बच्चों! तुम अपने ऐशो आराम और जीवन के सपनों में इतना मत खो जाना कि देश को भूल ही जाओ। अब समय आ गया है, तुम्हें तेजी से आगे बढ़कर आसमान की ऊँचाईयों को छू लेना है। तुम धरती पर ही नहीं आसमान पर भी तिरंगे को फहरा दो। बच्चो तुम इस देश की सदैव रक्षा करना।

काव्यगत-सौन्दर्य-

1. यहाँ कवि ने 'विज्ञान वरदान और अभिशाप' उक्ति को दर्शाया है।
2. कवि ने अपना भय दर्शाया है, जो उसकी देश के प्रति निष्ठा का प्रतीक है।
3. भाषा - सहज, सरल, मुहावरेदार, खड़ी बोली।
4. रस - वीर रस।
5. अलंकार - उपमा, रूपक, अनुप्रास, उल्लेख।

4. आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ

आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ झाँकी हिन्दुस्तान की
आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ झाँकी हिन्दुस्तान की
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की
वंदे मातरम.......
उत्तर में रखवाली करता पर्वतराज विराट है
दक्षिण में चरणों को धोता सागर का सम्राट है
जमुना जी के तट को देखों गंगा का ये घाट है
बाट-बाट में हाट-हाट में यहाँ निराला ठाठ है
देखों ये तस्वीरें अपने गौरव की अभिमान की
इस मिट्टी से......

शब्दार्थ - झाँकी = दृश्य, दर्शन। रखवाली = देखभाल, पहरेदारी। पर्वतराज = हिमालय। विराट विशाल। बाट-बाट = प्रत्येक मार्ग या रास्ता। हाट-हाट = प्रत्येक बाजार। निराला = अनोखा। ठाठ = शान।

सन्दर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ सुप्रसिद्ध गीतकार कवि प्रदीप द्वारा रचित 'आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ' गीत से ली गई हैं। यह गीत सन् 1954 में बनी फिल्म 'जाग्रति' में फिल्माया गया है।

इन पंक्तियों में कवि देश के भविष्य बच्चों को अपने देश के गौरवमय अतीत से परिचित कराता है, जिससे उन्हें अपने देश की गरिमा का संज्ञान हो और वे देश के प्रति सम्मान का भाव रखें।

व्याख्या – कवि बच्चों से कहता है कि आओ, बच्चों तुम्हें भारत का दर्शन कराएँ। इस भारतवर्ष की मिट्टी का अपने मस्तक पर तिलक लगाओ, क्योंकि यह बलिदानों से युक्त धरती है।

भारत का दर्शन कराता हुआ कवि (फिल्म में शिक्षक) कहता है कि देखो, ये उत्तर दिशा की रक्षा करने वाला पर्वतराज हिमालय है, जिसका स्वरूप अत्यन्त विशाल है, दक्षिण में सागरों का राजा प्रशान्त महासागर इसके चरण धोता अनुभव होता है, ये देखो गंगा-यमुना के पवित्र घाट यहाँ प्रत्येक मार्ग, प्रत्येक बाजार के अनोखे ठाठ-बाट है। अपने देश के गौरव की इन तस्वीरों को ध्यान से देखो और इन पर अभिमान करो।

काव्यगत - सौन्दर्य -

1. यहाँ कवि की देशभक्ति दर्शनीय है।
2. भाषा - सहज, सरल, ओजमयी, खड़ी बोली।
3. रस - वीर रस।
4. अलंकार - अनुप्रास, उल्लेख, पुनरूक्ति प्रकाश।

जलियाँवाला बाग ये देखों यहीं चली थी गोलियाँ
ये मत पूछो किसने खेली यहाँ खून की होलियाँ
एक तरफ बंदूकें दन-दन, एक तरफ थी टोलियाँ
मरने वाले बोल रहे थे इनकलाब की बोलियाँ
यहाँ लगा दी बहनों ने भी बाजी अपनी जान की
इस मिट्टी से.........
ये देखों बंगाल, यहाँ का हर चप्पा हरियाला है
यहाँ का बच्चा-बच्चा अपने देश पे मरने वाला है
ढाला है इसको बिजली ने, भूचालों ने पाला है
मुट्ठी में तूफान बंधा है और प्राण में ज्वाला है
जन्मभूमि है यही हमारे वीर सुभाष महान की
इस मिट्टी से...........

शब्दार्थ - दन-दन = लगातार चलती गोलियाँ। टोलियाँ परिवर्तन। चप्पा = कोना। हरियाला = हरा-भरा। भूचालों = भूकम्पों = समूह। इन्कलाब = क्रान्ति,।

सन्दर्भ - पूर्ववत्।

प्रसंग - प्रस्तुत अंश में कवि (पर्दे पर शिक्षक) बच्चों को जलियाँवाला बाग और वीर सुभाष चन्द्र बोस की भूमि से परिचय करा कर उनमें उत्साह की भावना का संचार करता है।

व्याख्या - कवि कहता है कि बच्चों! यह देखो जलियाँवाला बाग, जहाँ अंग्रेजों ने निहत्थे भारतवासियों पर गोलियाँ चलाई थीं और खून की होली खेली थी। एक ओर बंदूकों से दनादन गोलियाँ चल रही थी और दूसरी ओर लोगों को समूह के समूह गोलियाँ खा-खाकर मर रहे थे, लेकिन मरते समय भी उनके मुख से इंकलाब जिंदाबाद के नारे निकल रहे थे। यह ऐसी मिट्टी है जिसमें स्त्रियों ने भी अपनी जान की बाजी लगा दी थी। इसीलिए इस देश की मिट्टी को माथे से लगाकर तिलक करो अर्थात् देश को सम्मान दो।

कवि आगे कहता है कि यह देखो, यह हम सबके वीर सुभाष चन्द्र बोस की जन्मभूमि बंगाल की मिट्टी है। यहाँ का कोना-कोना हरा-भरा अर्थात् वीरों से युक्त है। यहाँ का बच्चा-बच्चा अपने देश के लिए मर मिटने के लिए तैयार है। ऐसा लगता है मानो इन्हें बिजली और भूकम्पों के बीच पाला-पोसा गया है। ये अपनी मुट्ठियों में तूफान जैसी शक्ति और प्राणों में आग भरकर चलते हैं। ये हमारे देश की शान है। इसलिए इस देश की माटी को अपने माथे पर तिलक लगाओ अर्थात् देश का सम्मान करो।

काव्यगत सौन्दर्य -

1. यहाँ कवि की देश प्रेम की भावना दर्शनीय है।
2. भाषा - मुहावरेदार, ओजपरक, सहज, खड़ी बोली।
3. रस - वीर रस।
4. अलंकार - अनुप्रास, रूपक, उत्प्रेक्षा, उल्लेख

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. अध्याय - 1 चंदबरदाई : पृथ्वीराज रासो के रेवा तट समय के अंश
  2. प्रश्न- रासो की प्रमाणिकता पर विचार कीजिए।
  3. प्रश्न- पृथ्वीराज रासो महाकाव्य की भाषा पर अपना मत स्पष्ट कीजिए।
  4. प्रश्न- पृथ्वीराज रासो को जातीय चेतना का महाकाव्य कहना कहाँ तक उचित है। तर्क संगत उत्तर दीजिए।
  5. प्रश्न- पृथ्वीराज रासो के सत्ताइसवें सर्ग 'रेवा तट समय' का सारांश लिखिए।
  6. प्रश्न- रासो शब्द की व्युत्पत्ति के सम्बन्ध में प्राप्त मतों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
  7. प्रश्न- पृथ्वीराज रासो' में अभिव्यक्त इतिहास पक्ष की विवेचना कीजिए।
  8. प्रश्न- विद्यापति भोग के कवि हैं? क्यों?
  9. अध्याय - 2 जगनिक : आल्हा खण्ड
  10. प्रश्न- जगनिक के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  11. प्रश्न- जगनिक कृत 'आल्हाखण्ड' का उल्लेख कीजिए।
  12. प्रश्न- आल्हा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- कवि जगनिक द्वारा आल्हा ऊदल की कथा सृजन का उद्देश्य वर्णित कीजिए। उत्तर -
  14. प्रश्न- 'आल्हा' की कथा का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- कवि जगनिक का हिन्दी साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए।
  16. अध्याय - 3 गुरु गोविन्द सिंह
  17. प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  18. प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह की रचनाओं पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
  19. प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह' की भाषा पर प्रकाश डालिए।
  20. प्रश्न- सिख धर्म में दशम ग्रन्थ का क्या महत्व है?
  21. प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह के पश्चात् सिख धर्म में किस परम्परा का प्रचलन हुआ?
  22. अध्याय - 4 भूषण
  23. प्रश्न- महाकवि भूषण का संक्षिप्त जीवन और साहित्यिक परिचय दीजिए।
  24. प्रश्न- भूषण ने किन काव्यों की रचना की?
  25. प्रश्न- भूषण की वीर भावना का स्वरूप क्या है?
  26. प्रश्न- वीर भावना कितने प्रकार की होती है?
  27. प्रश्न- भूषण की युद्ध वीर भावना की उदाहरण सहित विवेचना कीजिए।
  28. अध्याय - 5 भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
  29. प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की शैलीगत विशेषताओं को निरूपित कीजिए।
  30. प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की भाव-पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  31. प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की भाषागत विशेषताओं का विवेचन कीजिए।
  32. प्रश्न- भारतेन्दु जी के काव्य की कला पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  33. प्रश्न- भीतर भीतर सब रस चूस पद की व्याख्या कीजिए।
  34. अध्याय - 6 अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
  35. प्रश्न- अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' का जीवन परिचय दीजिए।
  36. प्रश्न- अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' के काव्य की भाव एवं कला की भाव एवं कलापक्षीय विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- सिद्ध कीजिए अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्विवेदी युग के प्रतिनिधि कवि हैं।
  38. प्रश्न- हरिऔध जी का रचना संसार एवं रचना शिल्प पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- प्रिय प्रवास की छन्द योजना पर विचार कीजिए।
  40. प्रश्न- 'जन्मभूमि' कविता में कवि हरिऔध जी का देश की भूमि के प्रति क्या भावना लक्षित होती है?
  41. अध्याय - 7 मैथिलीशरण गुप्त
  42. प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए।
  43. प्रश्न- 'गुप्त जी राष्ट्रीय कवि की अपेक्षा जातीय कवि अधिक हैं। उपर्युक्त कथन की युक्तिपूर्ण विवेचना कीजिए।
  44. प्रश्न- गुप्त जी के काव्य के कला-पक्ष की समीक्षा कीजिए।
  45. प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त की कविता मातृभूमि का भाव व्यक्त कीजिए।
  46. प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त किस कवि के रूप में विख्यात हैं? उल्लेख कीजिए।
  47. प्रश्न- 'मातृभूमि' कविता में मैथिलीशरण गुप्त ने क्या पिरोया है?
  48. प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त के प्रथम काव्य संग्रह का क्या नाम है? साकेत की कथावस्तु का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  49. प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त ने आर्य शीर्षक कविता में क्या उल्लेख किया है?
  50. अध्याय - 8 जयशंकर प्रसाद
  51. प्रश्न- सिद्ध कीजिए "प्रसाद का प्रकृति-चित्रण बड़ा सजीव एवं अनूठा है।'
  52. प्रश्न- महाकवि जयशंकर प्रसाद के काव्य में राष्ट्रीय चेतना का निरूपण कीजिए।
  53. प्रश्न- 'प्रसाद' के कलापक्ष का विश्लेषण कीजिए।
  54. प्रश्न- 'अरुण यह मधुमय देश हमारा' कविता का सारांश / सार/ कथ्य अपने शब्दों में लिखिए।
  55. प्रश्न- प्रसाद जी द्वारा रचित राष्ट्रीय काव्यधारा से ओत-प्रोत 'प्रयाण गीत' का सारांश लिखिए।
  56. प्रश्न- जयशंकर प्रसाद जी का हिन्दी साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए।
  57. प्रश्न- प्रसाद जी के काव्य में नवजागरण की मुख्य भूमिका रही है। तथ्यपूर्ण उत्तर दीजिए।
  58. अध्याय - 9 सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
  59. प्रश्न- 'सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' एक क्रान्तिकारी कवि थे।' इस दृष्टि से उनकी काव्यगत प्रवृत्तियों की समीक्षा कीजिए।
  60. प्रश्न- 'निराला ओज और सौन्दर्य के कवि हैं। इस कथन की विवेचना कीजिए।
  61. प्रश्न- निराला के काव्य-भाषा पर एक निबन्ध लिखिए। यथोचित उदाहरण भी दीजिए।
  62. प्रश्न- निराला के जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  63. प्रश्न- निराला के काव्य में अभिव्यक्त वैयक्तिकता पर प्रकाश डालिए।
  64. प्रश्न- निराला के काव्य में प्रकृति का किन-किन रूपों में चित्रण हुआ है? स्पष्ट कीजिए।
  65. प्रश्न- निराला के साहित्यिक जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  66. प्रश्न- निराला की सांस्कृतिक चेतना पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- निराला की विद्रोहधर्मिता पर प्रकाश डालिए।
  68. प्रश्न- महाकवि निराला जी की 'भारती जय-विजय करे' कविता का सारांश लिखिए।
  69. अध्याय - 10 माखनलाल चतुर्वेदी
  70. प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  71. प्रश्न- "कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी के काव्य में राष्ट्रीय चेतना लक्षित होती है।" इस कथन की सोदाहरण पुष्टि कीजिए।
  72. प्रश्न- 'माखनलाल जी' की साहित्यिक साधना पर प्रकाश डालिए?
  73. प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी ने साहित्य रचना का महत्व किस प्रकार प्रकट किया?
  74. प्रश्न- साहित्य पत्रकारिता में माखन लाल चतुर्वेदी का क्या स्थान है
  75. प्रश्न- 'पुष्प की अभिलाषा' कविता का सारांश लिखिए।
  76. प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित 'जवानी' कविता का सारांश लिखिए।
  77. अध्याय - 11 सुभद्रा कुमारी चौहान
  78. प्रश्न- कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
  79. प्रश्न- सुभद्रा कुमारी चौहान किस कविता के माध्यम से क्रान्ति का स्मरण दिलाती हैं?
  80. प्रश्न- 'वीरों का कैसा हो वसंत' कविता का सारांश लिखिए।
  81. प्रश्न- 'झाँसी की रानी' गीत का सारांश लिखिए।
  82. अध्याय - 12 बालकृष्ण शर्मा नवीन
  83. प्रश्न- पं. बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' जी का जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  84. प्रश्न- कवि बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' जी की राष्ट्रीय चेतना / भावना पर प्रकाश डालिए।
  85. प्रश्न- 'विप्लव गायन' गीत का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  86. प्रश्न- नवीन जी के 'हिन्दुस्तान हमारा है' गीत का सारांश लिखिए।
  87. प्रश्न- कवि बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' स्वाधीनता के पुजारी हैं। इस कथन को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
  88. अध्याय - 13 रामधारी सिंह 'दिनकर'
  89. प्रश्न- दिनकर जी राष्ट्रीय चेतना और जनजागरण के कवि हैं। विवेचना कीजिए।
  90. प्रश्न- "दिनकर" के काव्य के भाव पक्ष को निरूपित कीजिए।
  91. प्रश्न- 'दिनकर' के काव्य के कला पक्ष का विवेचन कीजिए।
  92. प्रश्न- रामधारी सिंह दिनकर का संक्षिप्त जीवन-परिचय दीजिए।
  93. प्रश्न- दिनकर जी द्वारा विदेशों में किए गए भ्रमण पर प्रकाश डालिए।
  94. प्रश्न- दिनकर जी की काव्यधारा का क्रमिक विकास बताइए।
  95. प्रश्न- शहीद स्तवन (कलम आज उनकी जयबोल) का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  96. प्रश्न- दिनकर जी की 'हिमालय' कविता का सारांश लिखिए।
  97. अध्याय - 14 श्यामलाल गुप्त 'पार्षद'
  98. प्रश्न- कवि श्यामलाल गुप्त का जीवन परिचय एवं राष्ट्र चेतना पर प्रकाश डालिए।
  99. प्रश्न- झण्डा गीत का सारांश लिखिए।
  100. प्रश्न- पार्षद जी ने स्वाधीनता आन्दोलन में शामिल होने के कारण क्या-क्या कष्ट सहन किये।
  101. प्रश्न- श्यामलाल गुप्त पार्षद के हिन्दी साहित्य में योगदान के लिए क्या सम्मान मिला?
  102. अध्याय - 15 श्यामनारायण पाण्डेय
  103. प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डे के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
  104. प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डेय ने राष्ट्रीय चेतना का संचार किस प्रकार किया?
  105. प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डेय द्वारा रचित 'चेतक की वीरता' कविता का सार लिखिए।
  106. प्रश्न- 'राणा की तलवार' कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  107. अध्याय - 16 द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी
  108. प्रश्न- प्रसिद्ध बाल कवि द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी का जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  109. प्रश्न- 'उठो धरा के अमर सपूतों' का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  110. प्रश्न- वीर तुम बढ़े चलो गीत का सारांश लिखिए।
  111. अध्याय - 17 गोपालप्रसाद व्यास
  112. प्रश्न- कवि गोपालप्रसाद 'व्यास' का एक राष्ट्रीय कवि के रूप में परिचय दीजिए।
  113. प्रश्न- कवि गोपाल प्रसाद व्यास किस भाषा के मर्मज्ञ माने जाते थे?
  114. प्रश्न- गोपाल प्रसाद व्यास द्वारा रचित खूनी हस्ताक्षर कविता का सारांश लिखिए।
  115. प्रश्न- "शहीदों में तू अपना नाम लिखा ले रे" कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  116. अध्याय - 18 सोहनलाल द्विवेदी
  117. प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी जी का जीवन और साहित्य क्या था? स्पष्ट कीजिए।
  118. प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी के काव्य में समाहित राष्ट्रीय चेतना का उल्लेख कीजिए।
  119. प्रश्न- 'मातृभूमि' कविता का केन्द्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।
  120. प्रश्न- 'तुम्हें नमन' कविता का सारांश लिखिए।
  121. प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी जी ने महात्मा गाँधी को अपने काव्य में क्या स्थान दिया है?
  122. प्रश्न- सोहनलाल द्विवेदी जी की रचनाएँ राष्ट्रीय जागरण का पर्याय हैं। स्पष्ट कीजिए।
  123. अध्याय - 19 अटल बिहारी वाजपेयी
  124. प्रश्न- कवि अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  125. प्रश्न- अटल बिहारी वाजपेयी के कवि रूप पर प्रकाश डालिए।
  126. प्रश्न- अटल जी का काव्य जन सापेक्ष है। सिद्ध कीजिए।
  127. प्रश्न- अटल जी की रचनाओं में भारतीयता का स्वर मुखरित हुआ है। स्पष्ट कीजिए।
  128. प्रश्न- कदम मिलाकर चलना होगा कविता का सारांश लिखिए।
  129. प्रश्न- उनकी याद करें कविता का सारांश लिखिए।
  130. अध्याय - 20 डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक'
  131. प्रश्न- डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
  132. प्रश्न- निशंक जी के साहित्य के विषय में अन्य विद्वानों के मतों पर प्रकाश डालिए।
  133. प्रश्न- डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक'के साहित्यिक जीवन पर प्रकाश डालिए।
  134. प्रश्न- हम भारतवासी कविता का सारांश लिखिए।
  135. प्रश्न- मातृवन्दना कविता का सारांश लिखिए।
  136. अध्याय - 21 कवि प्रदीप
  137. प्रश्न- कवि प्रदीप के जीवन और साहित्य का चित्रण कीजिए।
  138. प्रश्न- कवि प्रदीप की साहित्यिक अभिरुचि का परिचय दीजिए।
  139. प्रश्न- कवि प्रदीप किस विचारधारा के पक्षधर थे?
  140. प्रश्न- 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गीत का आधार क्या था?
  141. प्रश्न- गीतकार और गायक के रूप में कवि प्रदीप की लोकप्रियता कब हुई?
  142. प्रश्न- स्वतन्त्रता आन्दोलन में कवि प्रदीप की क्या भूमिका रही?
  143. अध्याय - 22 साहिर लुधियानवी
  144. प्रश्न- साहिर लुधियानवी का साहित्यिक परिचय दीजिए।
  145. प्रश्न- 'यह देश है वीर जवानों का' गीत का सारांश लिखिए।
  146. प्रश्न- साहिर लुधियानवी के गीतों में किन सामाजिक समस्याओं को उठाया गया है?
  147. अध्याय - 23 प्रेम धवन
  148. प्रश्न- गीतकार प्रेम धवन के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  149. प्रश्न- गीतकार प्रेम धवन के गीत देशभक्ति से ओतप्रोत हैं। स्पष्ट कीजिए।
  150. प्रश्न- 'छोड़ों कल की बातें' गीत किस फिल्म से लिया गया है? कवि ने इसमें क्या कहना चाहा है?
  151. प्रश्न- 'ऐ मेरे प्यारे वतन' गीत किस पृष्ठभूमि पर आधारित है?
  152. अध्याय - 24 कैफ़ी आज़मी
  153. प्रश्न- गीतकार कैफी आज़मी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  154. प्रश्न- "सर हिमालय का हमने न झुकने दिया।" इस पंक्ति का क्या भाव है?
  155. प्रश्न- "कर चले हम फिदा जानोतन साथियों" गीत का प्रतिपाद्य / सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  156. प्रश्न- सैनिक अपनी मातृभूमि के प्रति क्या भाव रखता है?
  157. अध्याय - 25 राजेन्द्र कृष्ण
  158. प्रश्न- गीतकार राजेन्द्र कृष्ण के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  159. प्रश्न- 'जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती हैं बसेरा' गीत का मूल भाव क्या है?
  160. अध्याय - 26 गुलशन बावरा
  161. प्रश्न- गीतकार गुलशन बावरा के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
  162. प्रश्न- 'मेरे देश की धरती सोना उगले गीत का प्रतिपाद्य लिखिए। '
  163. अध्याय - 27 इन्दीवर
  164. प्रश्न- गीतकार इन्दीवर के जीवन और फिल्मी कैरियर का वर्णन कीजिए।
  165. प्रश्न- 'है प्रीत जहाँ की रीत सदा' गीत का मुख्य भाव क्या है?
  166. प्रश्न- गीतकार इन्दीवर ने किन प्रमुख फिल्मों में गीत लिखे?
  167. अध्याय - 28 प्रसून जोशी
  168. प्रश्न- गीतकार प्रसून जोशी के जीवन और साहित्य का चित्रण कीजिए।
  169. प्रश्न- 'देश रंगीला रंगीला' गीत में गीतकार प्रसून जोशी ने क्या चित्रण किया है?
  170. प्रश्न- 'देश रंगीला रंगीला' गीत में कवि ने इश्क का रंग कैसा बताया है?

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book